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चाहिए यश कीर्ति और सम्मान,रहना हो निरोगी तो सूर्य देव की पूजा - अर्चना


ज्योतिषाचार्य- डॉ हिमांशु मिश्रा

सूर्य देव पद-प्रतिष्ठा, नौकरी, कीर्ति, धन आदि का कारक होता है। सूर्य  को आरोग्य का देवता माना जाता है। सूर्यदेव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके जीवन में सफलता, मानसिक शांति पायी जा सकती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के अन्दर शक्ति का संचार होता है।

सूर्य पिता आत्म सम्मान,समाज में मान, सम्मान, यश, कीर्ति, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा का करक होता है | इसकी राशि है सिंह | कुंडली में सूर्य के अशुभ होने पर पेट, आँख, हृदय का रोग हो सकता है साथ ही सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। इसके लक्षण यह है कि मुँह में बार-बार बलगम इकट्ठा हो जाता है, सामाजिक हानि, अपयश, मनं का दुखी या असंतुस्ट होना, पिता से विवाद या वैचारिक मतभेद सूर्य के पीड़ित होने के सूचक है | 

सूर्य देव की पूजा विधि 

भगवान सूर्य की पूजा में अर्घ्यदान का विशेष महत्व बताया गया है। रविवार के दिन प्रात:काल में तांबे के लोटे में जल लेकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इस अर्घ्यदान से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं।

रविवार का व्रत समस्त पापों का नाश करने वाला माना गया है। इस दिन सूर्यदेव का पूजन-अर्चन करने का महत्व है। इस व्रत को करने से मनुष्‍य के जीवन के सभी कष्ट नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य जीवन के सभी सुखों का भोग करने का अधिकारी बन जाता है। आइए जानें कैसे करें व्रत...

पौराणिक ग्रंथों में रविवार के व्रत को समस्त पापों का नाश करने वाला माना गया है।

अच्छे स्वास्थ्य व घर में समृद्धि की कामना के लिए भी रविवार का व्रत किया जाता है।

इस व्रत के दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है।

पूजा के बाद भगवान सूर्यदेव को याद करते हुए ही तेलरहित भोजन करना चाहिए।

1 वर्ष तक नियमित रूप से उपवास रखने के पश्चात व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

मान्यता है कि इस उपवास को करने से उपासक जीवनपर्यंत तमाम सुखों को

 ऐसे में भगवान राम की आराधना p आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करे, सूर्य को आर्घ्य दे, गायत्री मंत्र का जाप करे | ताँबा, गेहूँ एवं गुड का दान करें। प्रत्येक कार्य का प्रारंभ मीठा खाकर करें। ताबें के एक टुकड़े को काटकर उसके दो भाग करें। एक को पानी में बहा दें तथा दूसरे को जीवन भर साथ रखें।

इन मंत्रों का करें जब

ॐ रं रवये नमः या ॐ घृणी सूर्याय नमः १०८ बार (१ माला) जाप करे।

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