रिपोर्ट:- रोहित निगम कानपुर
दुनिया में ईसा मसीह के जन्मदिन पर 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाया जाता है। ईसाइयों का यह प्रमुख त्यौहार है । यह त्यौहार 12 दिनों तक चलता है।इस मौके पर लोग एक दूसरे को गिफ्ट्स देते हैं. पार्टी कर ईसा मसीह के जन्म की खुशियों को साझा करते हैं. स्वादिष्ट पकवान पकाए जाते हैं और घरों, चर्चों को रंग-बिरंगे सजावट से सजाया जाता है।
लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी में इस त्यौहार में रंग में भंग डाल दिया है महामारी ने जश्न, उत्सव, आयोजन और समारोहों पर पानी फेरने का काम किया है।
हर साल की तरह इस साल भी क्रिसमस 25 दिसंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस त्योहार का विशेष महत्व ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के लिए होता है, लेकिन आजकल इस त्योहार का प्रचार-प्रसार इतना अधिक हो गया है कि, लगभग सभी धर्मों के लोग इस त्योहार को मनाते हैं। खासतौर पर बच्चों के मन में क्रिसमस के त्योहार के लिए उमंग होती है, क्योंकि वह यह मानते हैं कि क्रिसमस की रात सांता आएंगे। और उनकी सभी विशेष पूरी करेंगे। तो वहीं क्रिसमस के 15 दिन पहले से ही मसीह समाज के लोग इसकी तैयारियों में जुट जाते हैं। कानपुर शहर में भी गिरजाघरों में कोविड नियमानुसार तैयारियां पूरी हो चुकी है।
चर्च के पादरी राजेश साइमन ने बताया कि सरकारी गाइडलाइन के अनुसार चर्च को कई बार सैनिटीज किया गया है। 25 दिसंबर के दिन आने वाले श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंस का पालन करना होगा। इसके साथ ही चर्च में प्रवेश करने से पहले लोगों को सैनिटाइज का इस किया जाएगा। गिरिजाघर के अंदर केवल 100 लोगों की ही जाने की अनुमति होगी। इस बार यीशु की पूजा अर्चना के माध्यम से इस महामारी से लोगों को निजात मिल सके। इसकी भी कामना की जाएगी।
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