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कोविड-19 के प्रभाव से भारत के गरीबों और कमजोर लोगों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार और विश्व बैंक ने 400 मिलियन डॉलर की परियोजना पर हस्ताक्षर किए

 


कोविड-19 महामारी से बुरी तरह से प्रभावित गरीबों और कमजोर परिवारों को सामाजिक सहायता प्रदान करने के भारत के प्रयासों में मदद के लिए भारत सरकार और विश्व बैंक ने आज 400 मिलियन डॉलर की एक परियोजना पर हस्ताक्षर किए। यह दो कार्यक्रमों की श्रृंखला का दूसरा हिस्सा है। 750 मिलियन डॉलर के पहले हिस्से को मई 2020 में मंजूरी दी गई थी। यह कार्यक्रम कोविड-19 महामारी से पैदा हुए संकट से जूझ रहे गरीबों और कमजोरों को समन्वित और पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर भारत में राज्य और राष्ट्रीय सरकारों की क्षमता को मजबूत करेगा।

आर्थिक कार्य विभाग में अतिरिक्त सचिव डॉ. सी. एस. महापात्र ने कहा कि कोविड-19 संकट ने ऐसी मुश्किलें पैदा कर दी हैं, जिसका प्रवासी और शहरी गरीब सामना कर रहे हैं और सरकार को इस तरह की भविष्य की आपदाओं के लिए तैयारी को और पुख्ता करने की आवश्यकता है। यह कार्यक्रम देशभर के शहरों और उसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले इन कमजोर समूहों की मदद कर भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों के कवरेज के विस्तार और उसे गहरा बनाने में मदद करेगा।

इस समझौते पर भारत सरकार की ओर से डॉ. महापात्र और विश्व बैंक की ओर से कार्यवाहक कंट्री डायरेक्टर सुमिला गुलयानी ने हस्ताक्षर किए।

पहले ऑपरेशन के दौरान देशभर में किए गए एक प्रतिनिधि घरेलू सर्वेक्षण के माध्यम से मिले शुरुआती परिणामों में भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की ताकत और चुनौतियां पता चलीं। भारत के कोविड-19 सामाजिक सुरक्षा प्रतिक्रिया कार्यक्रम को मजबूती देने के लिए दूसरे ऑपरेशन के लिए आज हस्ताक्षर किए गए, यह पहले ऑपरेशन के हासिल पर अगला कदम है।

भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा कि कोविड-19 महामारी का सामना करते हुए भारत सरकार देश की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को तेजी से मजबूत कर रही है। इस प्रक्रिया के सहयोग में, विश्व बैंक के पहले ऑपरेशन द्वारा आपातकालीन राहत के लिए पहले से मौजूद कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में सरकार का सहयोग किया गया। यह दूसरा अभियान भारत के सुरक्षा कार्यक्रमों के विस्तार का पूरक होगा, जिससे राज्य की सीमाओं से परे असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों, शहरी प्रवासियों और गरीब परिवारों के लिए भोजन और नकद सहयोग सुनिश्चित करने के लिए एक पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा मंच तैयार किया जा सके।

महाद्वीप की तरह का आकार और विषमता को देखते हुए भारत में कोविड-19 के बाद के आर्थिक झटके उप-राष्ट्रीय, समुदाय और घरेलू स्तर पर महसूस किए जा सकते हैं। प्रवासियों, असंगठित कामगारों और शहरी गरीबों की जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित करते हुए इस नए ऑपरेशन से राज्य सरकारों को लचीलापन मिलेगा। प्रस्तावित सुधार राज्यों को कोविड-19 और भविष्य की आपदाओं के लिए उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा प्रतिक्रियाओं को डिजाइन और कार्यान्वित करने के लिए आपदा प्रतिक्रिया कोषों से फंडिग का उपयोग करने की अनुमति देंगे। यह देखते हुए कि भारत में कोविड-19 के मामलों का बड़ा हिस्सा वर्तमान में शहरों और उसके आसपास के क्षेत्रों में है, इन हॉट-स्पॉट जिलों को भौगोलिक रूप से लक्षित मदद शहरी क्षेत्रों में सामाजिक सुरक्षा कवरेज को गहरा करने में मदद करेगी।

यह कार्यक्रम एशियाई विकास बैंक (एडीबी), एजेंस फ्रांसेस डी डिवेलपमेंट (एएफडी) और क्रिडेनिस्टाल्ट फर विडेरुफबो (केएफडब्लू) के सहयोग से तैयार किया गया।

400 मिलियन डॉलर का क्रेडिट विश्व बैंक की रियायती ऋण शाखा अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) से दिया गया है।

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