कानपुर नगर। शक्ति मासिक पत्रिका के केन्द्रीय कार्यालय में स्वामी विवेकानंद की जन्मतिथि पर एक परिचर्चा आयोजित की गयी। परिचर्चा में शामिल सदस्योँ ने स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण किया। परिचर्चा में विवेकशक्ति के प्रधान सम्पादक कुलदीप सक्सेना ने स्वामी जी के जीवन मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पत्रिका का प्रकाशन स्वामीजी की प्रेरणा से शुरू किया गया।
अपने प्रकाशन के पन्द्रह वर्षो में पत्रिका ने अपने गंभीर आलेखों द्वारा देश की राजनीति में स्वामी विवेकानँद के चिँतन को शामिल करने का प्रयास किया है। आध्यात्मिक चिँतन के न होने से किसी भी देश की राजनीति दिशाहीन हो सकती है। विवेकशक्ति के सँपादक मंडल के प्रमुख सदस्य योगेश श्रीवास्तव ने विचार प्रवाह मे आलोचना तथा मौलिक लेखन को जरूरी बताया।
साथ ही उन्होने कहा कि ऐसे भी आरोप लगते हैं कि स्वामी विवेकानंद द्वारा पश्चिम के चितन को स्वीकृति देने का ही परिणाम है कि आज हमारे देश का विकास पश्चिम का परानुगामी हो गया है। परिचर्चा में विवेकशक्ति के संपादन मंडल पर भी पुनर्विचार किया गया। साथ ही पत्रिका के लिए कार्यालय कार्यक्रम और कोष में योगदान हेतु पाठक वर्ग से एक अपील भी जारी की गयी। प्रख्यात दलित चिंतक देव कुमार, मजदूर नेता असित कुमार सिंह तथा मोहम्मद नाजिर ने देश और समाज के लिए पत्रिका की निष्पक्षता और आवश्यकता को रेखाँकित किया। संपादक मंडल ने यह भी जरूरी माना कि पत्रिका का डिजिटल संस्करण भी शुरु किया जाए।
प्रख्यात गाँधीवादी साहित्यकार दिनेश प्रियमन ने नवयुवकों की घटती पढ़ने की प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भविष्य के समाज की इस समस्या के लिए संजीदगी से प्रयास किए जाने की जरुरत है। परिचर्चा की अध्यक्षता डॉ. प्रभात बाजपेई ने की तथा संचालन विवेक शक्ति के संपादक राकेश मिश्र ने किया। अन्य उपस्थित लोगों में सर्व श्री के एम भाई, डा०आईए शादानी, डा०नीलम त्रिवेदी,धर्मेन्द्र मिश्रा, अशोक बाजपेयी, नरेंद्र कौशल, कुँवर जीत आदि प्रमुख रहे.भवदीय कुलदीप सक्सेना
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