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अमलतास एक चमत्कारी औषधि, गंभीर से गंभीर रोगों से दिलाता है निजात


अमलतास पीले फूलो वाला एक शोभाकर वृक्ष है। अमलतास को संस्कृत में व्याधिघात, नृप्रद्रुम, आरग्वध, कर्णिकार इत्यादि, मराठी में बहावा, कर्णिकार गुजराती में गरमाष्ठो, बँगला में सोनालू तथा लैटिन में कैसिया फ़िस्चुला कहते हैं।

आयुर्वेद में अमलतास के फल, फूल, तने, जड़ , छाल यानि संपूर्ण पेड़ का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। यह गैस, कब्ज, गठिया, डायबिटीज सहित क्षय रोग जिसे टीबी भी कहते है आदि रोगों से निजात दिलाने के लिए रामबांण होता है।

एकल ओषधि अमलतास चमत्कार देखिये --क्षय रोग जिसे टी बी कहते है अमलताश के गूदे का काढ़ा  रोजाना रात को सोते समय 90 दिनों तक लगातार पिला दिया जाए। तो यह  क्षय रोग को जड़ से ख़त्म करने की क्षमता रखती है। इसके पीने से फेफड़ो में जमा कफ कीटाणु नष्ट  हो जाते है। रोगी रोग मुक्त होकर चंगा हो जाता है यह है आयुर्वेद का चमत्कार।

अमलतास एकमात्र औषधि है जो पेट साफ करने के लिए बच्चे, बुढे व गर्भवती को दी जा सकती है।

इसे पानी मे उबाल कर गरारे करने से गले का इंन्फेक्शन ठीक होता है।

साभार:आयुर्वेदिक,उपचार,पद्धति,समूह  (एम एस पोरवाल)         

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