-लखनऊ के अमीनाबाद क्षेत्र में बना रखे थे गोदाम
-गुजरात, हिमांचल प्रदेश और उत्तराखंड से भी जुड़े हैं तार
-एक वेंडर से मिलती है बस चार से पांच तरह की दवाएं
कानपुर नगर। क्राइम ब्रांच की सक्रियता लगातार नकली और नशीली दवा गैंग के दांत खट्टे किए हुए है। महज चार दिनों में क्राइम ब्रांच ने गैंग के तीन सदस्यों को दबोचकर दो करोड़ की दवाएं बरामद की हैं। वहीं गुरुवार को क्राइम ब्रांच के हत्थे गैँग का सरगना भी चढ़ गया उसके पास से नशीली दवाओं की बड़ी खेप हाथ लगी है।
दवा गैँग के एक-एक तार को जोड़कर पुलिस गुरुवार को सरगना तक पहुंच गई। मूलरूप से रायबरेली का रहने वाला मनीष मिश्रा फिलहाल लखनऊ के आशियाना में रह रहा था। गुरुवार को वह दादानगर पुल के पास एक गत्ता अल्ट्रासेट टैबलेट के 64 पत्तों के साथ पकड़ा गया है।
पूछताछ में मनीष ने बताया कि वह गुजरात, अलीगढ़, मेरठ, अहमदाबाद से दवाएं लेकर आता था। गोरखपुर में जो दवाएं नकली सप्लाई की जाती हैँ वह सब कोलकाता से आती हैँ।
मनीष ने बताया कि हर नकली दवा हर किसी वेंडर से नहीं मिलती है। इसके लिए अलग-अलग वेंडर होते हैं। प्रत्येक वेंडर के पास चार से पांच तरह की दवाएं मिलती हैँ।
मनीष ने बताया कि वह बीते चार सालों से नकली दवा के व्यापार में लिप्त है। उसके ऊपर करीब 80 लाख रुपये का लोन था, जिसे उसने इस धंधे के जरिए हुई कमाई से चुका दिया। क्राइम ब्रांच मनीष से पूछताछ में लगी हुई है।
क्राइम ब्रांच को इस सप्ताह यह तीसरी बड़ी सफलता हाथ लगी है। इसके पहले सोमवार को
नकली व नशीली दवाओं के सप्लाई गैंग के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया था। मंगलवार को पुलिस ने गैंग में शामिल तीसरे अभियुक्त को गिरफ्तार करके दो करोड़ रुपये की नकली दवाएं भी बरामद की हैं।
देशभर में बिछा है नकली दवा नेटवर्क-
नकली दवाओं के पूरे नेटवर्क को खंगालते हुए क्राइम ब्रांच को अहम जानकारी हाथ लगी। यह नकली दवाएं हिमांचल प्रदेश के बद्दी, उत्तजराखंड के देहरादून और रुड़की, गुजरात के अहमदाबाद से लाकर लखनऊ में बने गोदामों में जमा की जाती थीं। दवाओं की सप्लाई और बुकिंग के लिए गैंग के सदस्य आपस में कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे । पूर्व में पकड़ी गई जिफी दवा के लिए पारले जी और पेनटाक के लिए कैडबरी कोड बना रखा था। दवाओं की सप्लाई के लिए सरकारी बसों का इस्तेमाल किया जा रहा था ।
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