रिपोर्ट: शत्रुघ्न सिंह
- सिर्फ त्यौहारों पर ही सम्बन्धित विभाग करता है कोई कार्यवाही
उरई/जालौन।भारत में कोई भी त्यौहार या कोई भी विशेष अवसर हो और मिठाई की मिठास न मिले तो मानो त्यौहार फीका सा लगता है। और वैसे भी मिठाई भारत में खाद्य पदार्थों में विशेष स्थान रखता है। जिसकी वजह से यहाँ खोआ से निर्मित विभिन्न प्रकार की मिठाईयां प्रमुखता से बनाई जाती है। और हर एक भारतीय की थाली में दिखायी पड़ता है। लेकिन अब यही मिठाई भारतीय लोगों के स्वास्थ्य में एक मीठा जहर घोल रही हैं जिसकी प्रमुख वजह मिठाईयों में प्रयक्त होने वाला मावा या कहे खोआ है। क्योंकि जब भी मिठाई बनाने वाले बड़े दुकानदार या घरों में बनाने के लिए ग्राहक खोआ या मावा लेने जाते हैं या तो वह दूषित मिलता है या फिर मिलावटी मिलता है।
अब बात करते है जनपद जालौन की जहां खोआ मण्डी एक तो तंग गलियों व गन्दे वातावरण में मख्खियां भिन्न भिन्नाते एवं साथ ही यातायात के जहरीले धुंये की परत के साथ मिल रहा है। सबसे बड़ी बात यह कि ऐसा नहीं की यह सब सम्बन्धित विभाग या अधिकारी को पता नहीं। लेकिन खोआ माफियाओं की मिठास के आगे कोई भी विभागीय कार्यवाही नहीं होती है। हाँ अगर होगी तो आप जान ले कि जरूर कोई बड़ा त्यौहार आने वाला है। सीधे कहें की उक्त सम्बन्ध में कार्यवाही भी ईद के चाँद की तरह होती दिखायी पड़ती है। इसके अलावा खोआ माफिया अपने खोये के मीठे जहर का व्यापार जनपद जालौन के अलावा अपने प्राइवेट वाहनों से आस पास के जनपदों बड़े स्तर कर रहें हैं। वहीं अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर एक खोआ व्यापारी ने बताया कि विभाग के कुछ लोग कोई कार्यवाही न करने के शर्त पर हमसे सुविधा शुल्क लेने आते हैं और मुझे न चाहकर उन्हें देना पड़ता है। क्योंकि मुझे भी अपना व अपने घरवालों का पेट पालना है। अर्थात इस वार्ता से एक बात तो तय है कि अगर कोई गलत कार्य बड़े स्तर पर करना है तो सम्बन्धित विभाग को सुविधा शुल्क देना ही पड़ेगा चाहे वह खोआ का कारोबार हो या गुटखे का। अब देखना है कि इस सम्बंध में विभाग कुम्भकर्णी नींद से कब जागता है और खुले व गन्दगी में बेचे जा रहे खोआ व्यापारियों के ऊपर कब कार्यवाही करता है। या फिर अगले बड़े त्यौहार का इन्तजार करते हैं।
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