
धर्म ग्रंथों, पुराणों के अनुसार चैत्र नवरात्रों का समय बहुत ही भाग्यशाली बताया गया है। इसका एक कारण यह भी है कि प्रकृति में इस समय नये जीवन का, एक नई उम्मीद का बीज अंकुरित होने लगता है। जनमानस में भी एक नई उर्जा का संचार हो रहा होता है। लहलहाती फसलों से उम्मीदें जुड़ी होती हैं। ऐसे समय में मां भगवती की पूजा कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करना बहुत शुभ माना गया है।
दुर्गा सप्तशती में महामारी की स्थिति में दिया गया भगवती दुर्गा का कथन "मेरी महिमा का पाठ महामारी और तीन प्रकार के दुष्ट अंशों से उत्पन्न सभी आपदाओं को शांत करने में सक्षम है।" - बारहवाँ अध्याय, दुर्गा सप्तशती देवी महात्मय (जिसे दुर्गा सप्तशती के नाम से भी जाना जाता है) में माँ जगन्माता, बारहवें अध्याय के अनुसार कहती है की , देवी महात्म्यम के अध्यायों का पाठ सभी प्रकार की महामारियों को शांत करने में सक्षम है और अत्यधिक खतरे की स्थितियों में भक्तों की रक्षा करता है।
आज दुनिया Covid -19 वायरस के कारण अभूतपूर्व खतरे से गुजर रही है, देखभाल और सावधानियों के साथ, आपकी भक्ति भी अपने और दूसरों के लिए एक सुरक्षा बन सकती है।
कोरोना नाम की इस महामारी से मानव जाति को बचाने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
चैत्र नवरात्र कब से कब तक
वर्ष 2020 में चैत्र नवरात्र 25 मार्च से 03 अप्रैल तक रहेगा। पहले दिन घटस्थापना का मुहूर्त सुबह 06:23 ए एम से 07:17 ए एम तक रहेगा। प्रतिपदा 24 मार्च को दोपहर बाद 02:57 पी एम पर शुरु होगी। 02 को अंतिम नवरात्र होगा साथ ही इस दिन प्रभु श्री राम की जयतीं यानी रामनवमी भी मनाई जायेगी।
माँ दुर्गा के इन मंत्रो के उच्चारण व् हवन से दूर होगी महामारी :-
महामारी - नाशके लिये
जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥
सामूहिक कल्याणके लिये
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ॥
विश्वके अशुभ तथा भयका विनाश करनेके लिये
यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च
। । सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु । ।
विश्वकी रक्षाके लिये
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः । .
लजा श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम् । ।
आरोग्य और सौभाग्यकी प्राप्तिके लिये
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि