रिपोर्ट - ब्रजेश शर्मा, कानपुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान के भले ही कई साल पूरे हो गए हों लेकिन क्या पीएम का यह स्वच्छता अभियान कितना स्वच्छ है यह उत्तर प्रदेश में देखने को मिलता है, जहां प्रदेश के कई गाँव ऐसे हैं जो शौचालय मुक्त तो हैं पर घूसखोरी के परवान चढ़ चुकें हैं, जिसका उदाहरण खुद गाँव वाले ही बन चुके हैं, जो इतना परेशान हो चुके हैं कि सरकार से अपनी पीड़ा बताने के लिए उन्हें गंजा तक होना पड़ रहा है,,,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान के भले ही कई साल पूरे हो गए हों लेकिन क्या पीएम का यह स्वच्छता अभियान कितना स्वच्छ है यह उत्तर प्रदेश में देखने को मिलता है, जहां प्रदेश के कई गाँव ऐसे हैं जो शौचालय मुक्त तो हैं पर घूसखोरी के परवान चढ़ चुकें हैं, जिसका उदाहरण खुद गाँव वाले ही बन चुके हैं, जो इतना परेशान हो चुके हैं कि सरकार से अपनी पीड़ा बताने के लिए उन्हें गंजा तक होना पड़ रहा है,,,
कानपुर की नर्वल तहसील के बाहर बैठे यह ग्रमीण इस बात का गवाह है कि प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत मिशन सिर्फ मिशन बनकर रह गया है कि वह भ्रष्ट अधिकारियों की भेंट चढ़ चुका है,,,
नसड़ा गावँ के रहने वाले इन ग्रमीणों का आरोप है कि उनके ग्राम निवास क्षेत्र के सचिव द्वारा शौचालय आदान राशि देने के बदले दो हजार रुपये घुस के रूप में मांगता है,,, इतना ही नही इन ग्रामीणों की बात में जितनी सच्चाई है उतना गुस्सा भी,,, जिसकी तश्वीर इनके विरोध प्रदर्शन में भी दिख रही है,,, जिसमे धरना देकर ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन के दो पूरे होने पर अपने आप को गंजा करा डाला,,, उसके बावजूद नसड़ा गाँव का हाल जस का तस ही बना हुआ है,,,
यहाँ की महिलाएं कहती हैं कि प्रधानमंत्री की योजना जहां सोच वहां शौचालय का लाभ उन्हें नही मिला, उन्हें आज भी घर बाहर ही जाना पड़ता है,,,
नसड़ा गावँ के रहने वाले इन ग्रमीणों का आरोप है कि उनके ग्राम निवास क्षेत्र के सचिव द्वारा शौचालय आदान राशि देने के बदले दो हजार रुपये घुस के रूप में मांगता है,,, इतना ही नही इन ग्रामीणों की बात में जितनी सच्चाई है उतना गुस्सा भी,,, जिसकी तश्वीर इनके विरोध प्रदर्शन में भी दिख रही है,,, जिसमे धरना देकर ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन के दो पूरे होने पर अपने आप को गंजा करा डाला,,, उसके बावजूद नसड़ा गाँव का हाल जस का तस ही बना हुआ है,,,
यहाँ की महिलाएं कहती हैं कि प्रधानमंत्री की योजना जहां सोच वहां शौचालय का लाभ उन्हें नही मिला, उन्हें आज भी घर बाहर ही जाना पड़ता है,,,
क्या कहते है ग्रामीण
इस विरोध प्रदर्शन के बाद गाँव की परस्थितियों का हाल देखने को तो बनता, तो आपको दिखाते हैं नसड़ा गाँव की उस तश्वीर को जिसे कागजों में ओडीएफ मुक्त कर दिया गया,,, गाँव मे मात्र 40 शौचालय ही बने है, पर उनका भी भुगतान अब तक नही हुआ,,, जबकि ग्रामीणों की जनसंख्या के मुताबिक 500 परिवार ऐसे हैं जिन्से शौचालय के नाम पर रिश्वत की रकम मांगी जाती है,,, जिसको लेकर यहां की महिला ग्राम प्रधान का कहना है कि पीएम सुविधाओ के लाभ तो सही है लेकिन यहां के अधिकारियों द्वारा उसे ग्रामीणों तक नही पहुँचाया जा रहा है,,, जबकि वह खुद ग्रामीणों के साथ कई बार जिलाधिकारी विजय विश्वास पन्त के पास गई,,, जहां सचिव अनिल कुमार शाक्य द्वारा रिश्वत की लिखित शिकायत भी की,,, लेकिन कार्रवाई तो छोड़िए जांच तक नही बैठाली गयी,,,
ग्राम प्रधान
इतना सब होने के बावजूद ग्रामीणों की आस पीड़ा को अधिकारी क्यों नही ज़मझ रहे जब कि उत्तर प्रदेश में सख्त रहने वाले आदित्यनाथ योगी की सरकार है,,, जिसे भ्र्ष्टाचार पसंद ही नही,,, उसके बावजूद फिर ऐसा क्यों,,, जिसका जवाब देते हुए नर्वल तहसील की एसडीएम का कहना है कि उनके संज्ञान मर यह पहली बार आया है जिसपर वह जांच जरूर करवाएंगी,,,